Sunday, February 22, 2009

देखो वो आता है

जर्रे जर्रे में छुपा कहीं,

देखो वो आता है,


बहुत तलाशा उसको मेने,

पर जाने कोंन सताता है,


देखा एक रोज आइना मेने,

तो जाना कोंन रुलाता है,


समझ रहा था दिल मेरा,

उसको भी पहचाना था,


न था यकीं पर सच है,

वो मेरे घर ही रहता है,


दूर किया मेने उसको वो,

साथ साथ मेरे आता है,


वो यादो में आकर,

आँखों से लाखों नीर बहता है,


आज जाना की वो दर्द था,

जो बनके हँसी मुस्कुराता है,


जर्रे जर्रे में छुपा कहीं,

देखो वो आता है,

Tuesday, February 17, 2009

मैं एक नदी चंचल सी

मैं एक नदी चंचल सी बहती हुई॥
जाने क्या सोचती जाती हूँ ॥
दूर कंही जाके धम जाऊ॥
सोचु फिर सायद में कंही,
बनके हवा फिर उड़ जाऊ॥
मैं एक नदी चंचल सी.....
जाने क्या सोचती जाती हूँ..

मुझे पाने को हर कोई यहाँ॥
रोज मुझसे मिलने आता है...
में दूर कंही जन्हा से आती हूँ॥
और फिर दूर कंही को जाती हूँ,
मैं एक नदी चंचल सी...
जाने क्या सोचती जाती हूँ ..
बारिश की बुँदे मुझको और मदहोश बनाती है॥
में संग संग लहरों के गीत फिर गुनगुनाती हूँ...
में पवन के झोंको के साथ मस्त होकर फिरती हूँ॥
में सूरज की किरणों में चांदी सी देखती हूँ॥
मैं डालकर के चुनर बादल की॥
फिर सागर से मिलने जाती हूँ...
मैं एक नदी चंचल सी...
जाने क्या सोचती जाती हूँ ....
मुझसे सब खुश रहते...
में सबके मन को भाती हूँ॥
में लहरों के साथ साथ,
हर दिल को छु जाती हूँ,
मैं एक नदी चंचल सी....
जाने क्या सोचती जाती हूँ ....
मैं एक नदी चंचल सी......
जाने क्या सोचती जाती हूँ ....

Sunday, February 15, 2009

रिमझिम बारिश जब होने लगी॥

रिमझिम बारिश जब होने लगी,

धरती भी देखो हसने लगी,

वो दूर गगन में छाए बादल,

हर कलि भी देखो खिलने लगी,

सारे बच्चे भी खुश हो गए,

वो हर दिल फ़िर मुस्कुराने लगे,

रिमझिम बारिश जब होने लगी.................

सूरज भी न जाने कहा गया.........

वो भी कुछ मदहोश हो गया,

इस बारिश की आहट से,

वो भी बदलो में खो गया॥

सायद सूरज की किरणे भी।

इस मस्ती में खोने लगी।

रिमझिम बारिश जब होने लगी...

इन खेतो में भी हरियाली छाने लगी,

हवांए भी गीत गाने लगी,

नदियों को नई उमंग मिली,

लहरों को नया एहसास मिला॥

मोसम ने अपना रुख बदला,

रिमझिम बारिश जब होने लगी॥


Monday, February 9, 2009

काश कुछ सपने सच हो पाते..

गुनगुनाते है बादल,
कुछ कहती है लहरे,
जमाने की हकीकत तो,
कुछ सपने सुनेहरे,
इनके बीच मै एक चाहत अधूरी सी...
अधूरे कुछ अनकहे अरमान मेरे॥

एक चाहत लहरों के साथ खेलने की,
तो एक तमन्ना असमान को छूने की,
है चाहत तो बस इतनी ही....

मैं बनके हवा कंही पर्वतों तक जाऊ,
मैं बनके घटा बदलो के संग मुस्कुराऊ,
और चाँद की चांदनी में लिपट कर,
फ़िर गीत कोई गुनगुनाऊ॥
है चाहत तो बस इतनी ही....

मैं हाथ बढाकर तारो को पा जाऊ।
मैं दूर गगन मैं तितली बनके मंङराऊ॥
मै फूलो के साथ साथ खिलू,
और फूल की खुसबू की तरह बिखर जाऊ,
है चाहत तो बस इतनी ही॥

कोई पास मेरे आए,
मुझे सपनो से मिला जाए,
कोई देके हँसी का गुब्बारा।
फ़िर रोज़ मुझको खूब हँसाये।
मैं सूरज की किरणों मै,
और सुनहरी हो जाऊ,
मैं तारो की ठंठक मै।
दिल को अपने बहलाऊ,
है चाहत तो बस इतनी ही...

काश कुछ सपने सच हो पाते॥
आँख खुलते ही न खो जाते,
मैं भी इनमे खो जाती,
अगर ये सपने सच हो जाते...

Tuesday, February 3, 2009

राहों की मंजिल

चले थे साथ हम,
पर राहो में खो गए,
आज पास आए थे मुद्त के बाद,
आज ही आपसे दूर हो गए,
क्यों मंजिल को साथ पा न सके,
बस वो बीते पल याद आ गए,
चले थे साथ हम,पर रहो में खो गए............

चाहतो का भवर था ये प्यार,
इस प्यार की कश्ती में सवार हो गए,
आया एक तूफान जिंदगी में ऐसा,
हम एक तिनके के सहारे हो गए है,
चले थे साथ हम,
पर रहो में खो गए...........
फूल न मिले तो क्या,
राहों में कांटे मिल गए,
देख रही थी मजिल पास में,
पर राहों के दिए ही बुछ गए,
चले थे साथ हम,
पर राहों में खो गए...................

अंधेरो में जिंदगी थी,
इस जिंदगी के गम से हम,
आज अचानक ही आमने सामने रूबरू हो गए,
कुछ यादे साथ लेकर हम,
उन यादों के सहारे हो गए,
चले थे साथ हम,
पर राहों में खो गए................

Sunday, February 1, 2009

"पाने की चाहत"

किसी को खो दिया हमने,
किसी को पा लिया हमने,
जाने कहा चले थे हम,
की अपनों का साथ खो दिया हमने,
जिंदगी में ख्वाबो को पाने की चाहत थी,
आज उन ख्वाबो को भी छोड़ दिया हमने,
किसी को खो दिया हमने,
किसी को पा लिया हमने,........

तुम्हे पा लिया तो जी जायंगे हम,
अगर न मिले तो भी तुम्हे पाएंगे हम,
हार मनाकर ज़िन्दगी जी सके तो,
हर जिंदगी को जीत जायेंगे हम,
सपने पुरे हो न हो,
उन्हें एक दिन पाएंगे हम,
देखे है सपने अगर दिल से,
तो उन्हें भी पुरा कर जायेंगे हम,
क्यों सोचे की क्या खो दिया हमने,
की क्या पा लिया हमने,

टूटकर अगर शाखा किसी पेड़ की,
उस पर वापस न जुड़ सके तो क्या,
उसी टूटी शाखा से सपनो का महल बनायेंगे हम,
क्या पता इसी तमन्ना में,तुम्हे भी पा जाए हम,
अपनी चाहत को न कम होने दिया हमने,
क्यों सोचे की क्या खो दिया हमने,
की क्या पा लिया हमने,
सच कहा है किसी ने....................ये सच ही तो है दोस्तों की........
चाहत किसी को मजबूर करती तो नही...
किसी को "पाने की चाहत" दिल से निकलती तो नही...

"सपनो का जन्हा"

हर इंसान सपनो का जन्हा बनता है,
पर वो सपना ही रह जाता है,
पंछी उड़कर आसमान तक जाते तो है,
पर कुछ जमीन से उड़ ही नही पाते है,
कुछ के सपने सपने ही रह जाते है,
तो कुछ का सपना साकार हो जाता है,
हर इंसान सपनो का जन्हा बनता है....................

पंछी घरोंदो में जाकर सपने तो सजाते है,
पर आँख खुलने पर सपनो से दूर हो जाते है,
जब नए रिश्ते बनते है तो पुराने छुट जाते है,
नए रिस्तो में दिल ख़ुद को भूल जाता है,
हर इंसान सपनो का जन्हा बनता है...........

आँखे जब बंद है तो सपनो की दुनिया दिखती है,
खुली जब आँखे तो अपनों की दुनिया मिलती है,
कितने अनजान रिश्ते है ये दिल सहम जाता है,
याद करू कुछ और,कोई और याद आता है,
हर इंसान सपनो का जन्हा बनता है............

किस पर भरोसा करू ये दुनिया अनजानी है,
विस्वास हो भी जाए पर धड़कने दीवानी है,
हर रात आँखे नया सपना सजा लेती है,
सुबह वही आँख उन्हें पुरा करने को कहती है,
क्या हुआ जो मैंने एक और सपना सजाया है,
हर इंसान सपनो का जन्हा बनाता है..........
हर सपने को पुरा करने की मन में प्यास है,
अब न दिल दुखी,न मन उदास है,
सपनो से मिलने की अब मन में आस है,
है अगर भरोसा रब का तो "सपनो का जन्हा" भी पास है..........
है अगर भरोसा रब का तो "सपनो का जन्हा" भी पास है............